Thursday, November 13, 2008

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं.
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा,
एक झूठ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा.
जीवन का एक ऐसा साथी है,
जो दूर हो के पास नहीं.
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं.
हवा का एक सुहाना झोंका है,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा.
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा.
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र,
जो समंदर है, पर दिल को प्यास नहीं.
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं.
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है.
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है.
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं.
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं..........

3 comments:

Web Master said...

This is very nice poem by u.

great job..

keep it up..

best wishes...

"अर्श" said...

bahot khub badhiya rachana..

"अर्श" said...

बहोत खूब लिखा है आपने ,बहोत बधाई आपको ,साथ में मेरे ब्लॉग पे आने का बहो बहोत शुक्रिया ... आपका बहोत स्वागत है मेरे ब्लॉग पे ....आपका स्नेह बना रहे .... ढेरो साधुवाद ..